अंबिकापुर। आपदाओं के दौरान जान की बाजी लगा कर आमजन के जीवन रक्षण में सेवाएं देने वाले अग्निशमन योद्धाओं ने दशकों से लंबित संविलियन एवं पदोन्नति की मांगों और समस्याओं के निदान के लिए गृहमंत्री छत्तीसगढ़ शासन विजय शर्मा के समक्ष ज्ञापन सौंपकर समस्याओं का निदान करने के लिए निवेदन किया। अग्निशमन दल की जिला इकाई अम्बिकापुर ने आवेदन कर अनुरोध दर्ज कराया है, जिसमें खासतौर पर नगर पालिका, नगर पालिका निगम से प्रतिनियुक्ति पर संलग्न किए गए नियमित अग्निशमन कर्मचारियों के संविलियन एवं पदोन्नति और अस्थाई रूप से सेवा प्रदाता कर्मचारियों के नियमितिकरण सहित एक माह के वेतन का अतिरिक्त भुगतान व जोखिम भत्ता प्रदाय करने जैसी मांगें निहित हैं। बताया जा रहा है कि उक्त समस्याएं राज्य शासन, जिला प्रशासन, राज्य एवं जिला स्तर पर नगर सेना और निगमों के आला अधिकारियों के समक्ष विगत कई वर्षों से लगातार संचारित हो रहे प्रत्राचार के बावजूद जस की तस बरकरार हैं। बता दें कि पूर्व में वर्ष 2017 में जिला मुख्यालय से कुल 18 नियमित अग्निशमन कर्मचारियों एवं 14 प्लेसमेंट अग्निशमन कर्मचारियों को दो वर्षों के लिए ही प्रतिनियुक्ति पर संलग्न किया गया था, दो वर्ष पश्चात अग्निशमन कर्मचारियों को बिना पत्राचार किये (कि उनका प्रतिनियुक्ति बढाया जा रहा है) आज तक प्रतिनियुक्ति पर रख के कार्य कराया जा रहा है।
वर्ष 2017 से अधर में लटका हुआ है भविष्य
वर्ष 2017 में सामान्य प्रशासन एवं गृह विभाग की आपसी सहमति से नगर पालिक निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत अंतर्गत संचालित अग्निशमन विभाग व कर्मचारियों को नगर सेना में हस्तांतरित किया गया था। तब से लेकर आज तक इन कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। अग्निशमन कर्मचारियों को अपनी सेवाएं प्रदाय करने के अतिरिक्त अपने पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस ओर गृहमंत्री विजय शर्मा के आश्वासन से उनमें काफी उम्मीदें जगी हैं।
उठाते हैं जोखिम बीमा तक नहीं
अग्नि शमन विभाग के अनियमित कर्मचारियों ने कहा कि वे अपनी जान की परवाह किए बगैर दायित्वों का निर्वहन करते समय उच्च जोखिम भी उठाते हैं, जिसमें उनकी जान जाने का खतरा बना रहता है। कई बार घर , दुकान सहित अन्य स्थानों पर आग लगने पर उन्हे धधकते कमरे में घुस सुरक्षा का जायजा लेना पड़ता है कि भीतर कोई इंसान फंसा तो नहीं है, कई बार लोगों की जान बचाने के लिए भी अपनी जान की बाजी लगानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में उन्हे यह भय बना रहता है कि यदि उन्हें कुछ हुआ तो उनके परिवार का क्या होगा। उनका बीमा तक नहीं कराया जा रहा है। श्रम कानून की भी अवहेलना हो रही है।






