छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट में आंख पर पट्टी बांध कर बैठा वन अमला.!. जंगल की मच गई लूट.. पेड़ों की अंधाधुन कटाई कर बना रहे ठूंठ... एक - दो दिन में ही जुताई कर बना रहे खेत.. मिली भगत से चल रहा खेल...

छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट में आंख पर पट्टी बांध कर बैठा वन अमला.!. जंगल की मच गई लूट.. पेड़ों की अंधाधुन कटाई कर बना रहे ठूंठ... एक - दो दिन में ही जुताई कर बना रहे खेत.. मिली भगत से चल रहा खेल...

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मैनपाट।(महेश यादव)। छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर सरगुजा जिले के प्रमुख पर्यटन केंद्र मैनपाट में वन अमला आंख पर पट्टी बांध कर बैठा है और संगठित समूह हरे भरे जंगल को काट मैदान, खेत में बदल कब्जा कर रहा है। जिस गति से पेड़ो की कटाई चल रही उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि मैनपाट की हरी भरी वादियां  4 से 5 माह में उजड़ जायेंगी। वनों का विनाश देख पर्यावरण प्रेमी, जागरूक लोगों की छाती फट रही है वहीं  जिम्मेदार वन विभाग का अमला बेपरवाही के साथ घोड़े बेच कर सो रहा है। वन भूमि पट्टा के चलते जंगल हमेशा भू माफियाओं, जंगल के लुटेरों के निशाने पर रहे हैं। मौजूदा समय में मैनपाट के चारों दिशाओं में जंगल की विनाशलीला चल रही है। इन सब आरोपों की पुष्टि करती इस तस्वीर वनों की सुरक्षा के लिए तैनात विभाग के बड़े अमले की कार्यशैली, कर्यव्यनिष्ठा पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। गांव के जागरूक लोगों का कहना है कि स्थानीय वन अधिकारी, कर्मचारी जा जंगल में कभी झांकने नही जाते, कभी कभार गश्त करते हैं, कभी कोई पकड़ा भी जाता है तो कार्रवाई करने के बजाए, एकांत स्थल पर लेजा बातचीत करने के बाद छोड़ देते हैं, जिससे जंगल के लुटेरों और भू माफियाओं का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंच गया गया। पेड़ों की अंधाधुन कटाई से जंगल ठूठ में तब्दील हो रहे हैं। सबसे गंभीर बात तो यह है कि साल के बड़े बड़े पेड़ों को भी काटा जा रहा है। नर्सरी में भी कब्जा किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक शनिवार को कथित तौर पर वन अमले ने जंगल काटते और जुताई करते लगभग 1 दर्जन ग्रामीणों को पकड़ा गया था, मगर बगैर कार्रवाई के ही छोड़ दिया गया। यदि शासन और प्रशासन के द्वारा इस ओर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो, वन समय दूर नही जब मैनपाट पर्यटन के नक्शे से मिट जायेगा। गांव के जागरूक लोगों के द्वारा शासन, प्रशासन से मैनपाट में पदस्थ वन अधिकारियों को बदल जंगल की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता जताते हुए जंगल, पेड़ो की कटाई करने वालो पर कड़ी कार्रवाई और वन भूमि को कब्जा से मुक्त कराए जाने की मांग की है। 


जोत कर बना रहे खेत 

मैनपाट के जंगलों में संगठित गिरोह के द्वारा पेड़ो की कटाई करने के बाद ट्रेक्टर, नागर से जुटाई कर जंगल को देखते ही देखते खेत बना दिया जा रहा है। एक - दो दिन के भीतर ही जंगल के बड़े हिस्से में अवैध कब्जा कर लिया जा रहा है। गांव के जागरूक लोगों का आरोप है कि यह सारा खेल वन विभाग के स्थानीय अमले की मिली भगत से चल रहा है।








 जानवरों का रहवास क्षेत्र छीन रहा 

जंगल में अवैध कब्जे की होड़ के कारण जानवरों का रहवास क्षेत्र छीन रहा है। जिसके कारण जानवरों का बस्तियों, गांवों में प्रवेश कर उत्पात मचाने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही है।मौजूदा समय में मैनपाट क्षेत्र में जंगली हाथियों का उत्पात सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। जंगल में इंसानों की दखल बढ़ने के साथ पेड़ो की अंधाधुन कटाई के चलते हाथी, भालू, हिरण सहित अन्य जानवर आए दिन बस्तियों में प्रवेश कर रहे हैं। जंगली हाथियों के द्वारा ग्रामीणों का आशियाना, घर उजाड़ने के साथ फसलों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों के सिर से न सिर्फ छत बल्कि थाली के अनाज, जीविकोपार्जन का सहारा भी छीन रहा है। 

घुन, दीमक की तरह नाश रहे जंगल

गांव के प्रभावशाली लोग, भू माफिया घुन, दीमक की तरह जंगल को नाश रहे हैं। मौजूदा समय में डांड केसरा, डौकी कोन्हा, खीरा खार, गुलंबर, सपनादर, सामरदर, लुआठी, तुर्रा, कंपार्ट मेंट नंबर 4523, परपटिया, बिसर पानी, जंगली जोबा, बौराहा डिहारी, भैंसा सुर, बीजातरी, उराइन घाट, छोटका राता, चुनहिया, समनिया सहित अन्य गांव में जंगल की विनाशलीला जारी है। इस संबंध में मैनपाट रेंजर, डीएफओ सरगुजा द्वारा मोबाइल रिसीव नहीं किए जाने से उनका पक्ष नही लिया जा सका। 

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