क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे..? हिंदी दिवस पर राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वक्ताओं ने दी ईमान की सीख...! पंच परमेश्वर विषय पर हुई क्विज स्पर्धा..

क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे..? हिंदी दिवस पर राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वक्ताओं ने दी ईमान की सीख...! पंच परमेश्वर विषय पर हुई क्विज स्पर्धा..

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अंबिकापुर। शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय अम्बिकापुर में हिंदी दिवस अवसर पर हिन्दी विभाग व अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा हिन्दी दिवस कार्यक्रम का आयोजन  किया गया। युवाओं को समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी और योगदान को समझाने के लिए इस कार्यक्रम में 70 से अधिक छात्राओं सहित 8  प्रोफ़ेसर शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ हिन्दी विभाग के डॉ. विश्वाशी एक्का ने किया, जिन्होंने इस कार्यक्रम ने उपस्थित सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और अतिथियों को हिंदी साहित्य और प्रेमचंद की रचनाओं के महत्व से अवगत कराया। इसके साथ ही, हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे समाज में सशक्त रूप से स्थापित करने तथा संविधान की प्रस्तावना में वर्णित एक बेहतर समाज की परिकल्पना पर प्रकाश डालते हुए आज भी प्रेमचंद के रचनाओं के माध्यम से इसकी प्रासंगिकता को समझाया। 

अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के वक्ता सुजीत कुमार ने प्रेमचंद के साहित्य के प्रासंगिकता को सहज रूप में परिचर्चा करते हुए कई गतिविधियों के माध्यम से मानवीय मूल्यों, संविधान के अनुच्छेद तथा विभिन्न सामाजिक पहलुओं को उनके जीवन से जोड़ते हुए प्रेरक बातें और गहन विश्लेषण से छात्रों को गहराई से सोचने का अवसर दिया।  हिंदी साहित्य को युवाओं में सकारात्मक चेतना विकास करना तथा हिन्दी के महान रचनाकार प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से वर्तमान समाज की चुनौतियों, समस्याओं और समाधान के विभिन्न पहलुओं पर विचार करना था। कार्यक्रम में प्रेमचंद की कृतियों से जुड़ी सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर भी विशेष चर्चा की गई। कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण - प्रेमचंद के रचनाओं से संबंधित पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई थी, 

जिसमें उनके साहित्यिक कार्यों के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद भी अंकित थे। प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी "पंच परमेश्वर" पर आधारित क्विज/फिल्म दिखाई गई और परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने विभिन्न पहलुओं व पात्रों पर चर्चा की। संविधान के अनुच्छेद और प्रेमचंद के साहित्य से संबंधित सवाल पूछे गए और प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया व चर्चा किया। मुख्य वक्ता डॉ. आशीष तिवारी, लता जयसवाल, डॉ.एस भगत, डॉ. एजेन टोप्पो, डॉ.अल्का जैन, अंजु प्रिया टोप्पो, नेहा सिंह ने हिन्दी भाषा के महत्व व प्रेमचंद की रचनाओं के सामाजिक और मानवीय मूल्यों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समझने और उनके जीवन से प्रेरणा लेने पर जोर दिया। उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व और इसकी प्रासंगिकता पर भी विचार साझा किए। डॉ. आशीष तिवारी ने  कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा है। इसके माध्यम से समाज की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। हिंदी संविधान की प्रस्तावना में विशेष स्थान रखती है, और इसका महत्व आज भी बना हुआ है। डॉ. विश्वाशी एक्का बतलाती है कि प्रेमचंद की रचनाओं में सामाजिक समस्याओं, गरीबी, और अन्याय के मुद्दों पर गहरी दृष्टि डाली गई। उनकी कहानियों के माध्यम से भारतीय समाज की वास्तविक तस्वीर उभरकर सामने आती है। प्रेमचंद के साहित्य से अपना जुड़ाव बतलाते हुए अपने छात्र जीवन को याद किया और कैसे साहित्य सम्राट के रचना ने समाज को देखने का नजरिया बदला, उन्होने प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से छात्र अध्यापकों को समाज की वास्तविकता को समझने में मदद की, बल्कि उन्हें संविधान की परिकल्पना और उसके महत्व से भी अवगत कराया और बतलाया की केवल साहित्यिक ज्ञान और रुचि को बढ़ावा देती नही है, बल्कि नैतिक और सामाजिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करती हैं। कार्यक्रम का आयोजन शासकीय राजमोहिनी देवी कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रांगण में पूर्वान्ह 11 बजे से प्रारंभ हुआ, जिसमें महाविद्यालय के छात्राओं और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

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