सूरजपुर।(भूपेंद्र राजवाड़े। 28 नवंबर 2024)। छत्तीसगढ के सूरजपुर जिले में जंगली हाथियों की मौत का सिलसिला जारी है। इस बार प्रतापपुर वन परिक्षेत्र मुख्यालय से मात्र 6 किमी दूर ग्राम सरहरी के गोरहाडांड़ जंगल में एक नर हाथी का सड़ा गला शव मिला। जिससे अनुमान सहज लगाया जा सकता है कि हाथी की मौत कई दिन पहले हुई होगी मगर वन कर्मियों को भनक तक नहीं लगी। हाथी की मौत के इस मामले में वन कर्मियों के द्वारा हाथियों की निगरानी और प्रबंधन के नाम पर किस तरह लापरवाही बरती जा रही है इसका प्रत्यक्ष नमूना भी है यह। बताया जा रहा है कि जंगली हाथियों का प्रबंधन वन विभाग के लिए दुधारू गाय बन गई है। शासन के द्वारा हाथियों से जनहानि रोकने और हाथियों की मौत रोकने के साथ निगरानी और ग्रामीणों को सचेत करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जाता है, मगर जिम्मेदार वन विभाग के अधिकारी और मैदानी कर्मचारी सिर्फ इस राशि से अपनी जेब भर रहे हैं, जन और हाथियों की सुरक्षा अभियान केवल कागजों का हिस्सा मात्र बनकर रह गए हैं। पशु प्रेमियों का कहना है किसरहरी के गोरहाडांड़ में हाथी का शव होने की जानकारी ग्रामीणों द्वारा दिए जाने पर वन कर्मियों को मिली। शव से दुर्गंध उठ रही थी। जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रतापपुर क्षेत्र में वन अमला जंगल के साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा में लापरवाही बरत रहा है। जंगल लगातार कट रहे हैं। घने जंगल मैदान में तब्दील हो रहे हैं मगर जिम्मेदारों को कोई परवाह नहीं है।
मौत का कारण अज्ञात
बताया जा रहा है कि सरहरी के गोरहाडांड़ जंगल में ग्रामीणों ने सबसे पहले सड़े हुए शव को देखा और इसकी सूचना वन विभाग को दी। शव की दुर्गंध और उसकी हालत को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि हाथी की मौत लंबे समय पहले हो चुकी थी। शव के जंगल के अंदर होने पर ग्रामीण लकड़ी काटने गए तब मौके की भनक लगी।वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथी की मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है।