परंपराएं एक समान
ज्ञापन में कहा गया है कि अगरिया जनजाति से संबंध समक्ष क्षेत्र के लोहार जाति जिनकी अगरिया जनजाति की सारी परम्पराएँ एक है समानता है, ऐसी लोहार जाति और अगरिया जनजाति का खान-पान रहन-सहन सामाजिक रीति रिवाज, पुजा-पाठ, देवी-देवता परम्पराएँ समी एक है। इनके मध्य बेटी-रोटी का भी संबंध है। दोनों में पुरी सामाजिक रीति-रिवाज से शादी-विवाह होता है. इनका वंश गोत्र-क्षेत्र के उरांव, गोंड़ जनजाति की तरह एक ही है। यह भी उल्लेखनीय है, कि क्षेत्र में निवासरत अन्य गैर जाति लोहार जो विश्वकर्मा को पूजने वाली लोहार जाति है, से इनका सामाजिक संबंध दूर-दूर तक नहीं है। रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज, पुजा-पाठ सामाजिक परम्पराएँ आदि में स्पष्ट भिन्नता है। यह लोग गैर जनजाति लोहार इनका जल तक ग्रहण करने में परहेज करते हैं।
लोहार-लुहार को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति की सूची क्रमांक 1 में अगरिया जनजाति अंतर्गत शामिल करने की गई है अनुसंशा
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि 17.05.2023 को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के द्वारा ग्राम पंडोरा, तह. कुनकुरी, जिला जशपुर में सुनवाई की गयी। संतुष्ट होते हुए पत्र क्रमांक 17.12.2023, दिनांक 25.09.20 23 के तहत उपरोक्त जिले के उक्त लोहार-लुहार को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति की सूची क्रमांक 01 में अगरिया जनजाति अंतर्गत शामिल करने हेतु अनुसंशा की गयी है। यह के आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान क्षेत्रिय इकाई अम्बिकापुर द्वारा भी पुरी जाँच परिक्षण सर्वेक्षण सोध कर निर्जातीय अध्ययन प्रतिवेदन पत्र क्रमांक 10, 2024 दिनांक 20.05.2024 के तहत सारे दस्तावेज के संचालक, आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर छ.ग. को अनुसंशा करते हुए कि ये लोहार एवं अगरिया एक ही है। उक्त लोहार को शामिल किये जाने प्रेषित किया गया है। उल्लेखनीय है कि समाज का उक्त प्रकरण संचालक आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर छ.ग. में मई 2024 से लंबित है। जिससे प्रमाणित, सत्यापित सुसंगत दस्तावेज सारगर्भित साक्ष्य, अनुसंसित निर्जातीय अध्ययन प्रतिवदेन व समस्त आधार को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्त जिले में निवासरत ऐसे लोहार-लुहार जाति तो मूलतः अगरिया जनजाति की संस्कृति से स्पष्ट ओत-प्रोत परिलक्षित है कि उक्त मानवीय न्यायोचित मांग पर कार्यवाही करते हुए पूर्ण करने का महान करने का कष्ट करें। ताकि वंचित उपेक्षित यह समाज मुख्य धारा से जुड़कर संविधान द्वारा प्रदत्त संवैधानिक अधिकार का लाभ प्राप्त कर विकास के पथ पर अग्रसर हो सकें। ज्ञापन में सामाजिक भवन निर्माण की भी मांग की गई।








