सूरजपुर।। खबरी गुल्लक ।।
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के घुई वन परिक्षेत्र में भैसामुंडा सर्किल के रेवटी क्षेत्र से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां जंगल में एक बाघ का शव संदिग्ध हालत में मिला, जिसके शरीर पर गहरी चोटें हैं और एक नाखून गायब है। घटनास्थल से लोहे का एक हथियार भी बरामद हुआ, जो शिकार या तस्करी की आशंका को और गहरा देता है। यह घटना वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पर करारा प्रहार है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बाघ की मौत 3-4 दिन पहले हो चुकी थी। इतने लंबे समय तक जंगल में शव पड़ा रहना वन विभाग की गश्त व्यवस्था की पोल खोलता है। रेवटी क्षेत्र संरक्षित वन्यजीवों का गढ़ है, जहां कैमरा ट्रैप और नियमित पेट्रोलिंग का दावा किया जाता है। फिर भी, इस गंभीर घटना का खुलासा इतने देर से होना सवालों का घेरा खड़ा कर रहा है।स्थानीय ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया वन अमला की गतिविधियां सीमित हैं। जंगल में असामाजिक तत्वों का डर कम ही लगता है। एक ग्रामीण ने कहा कि हमने कुछ दिनों पहले संदिग्ध आवाजें सुनी थीं, लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह जमीनी हकीकत कागजी दावों से बिल्कुल उलट है। वन विभाग द्वारा दावा किए जाने वाले आधुनिक निगरानी उपकरण जैसे ड्रोन और जीपीएस ट्रैकिंगकी क्या भूमिका रही?
शिकार की आशंका
शव पर मिले चोट के निशान प्राकृतिक मौत से मेल नहीं खाते। विशेषज्ञों का मानना है कि यह जाल या हथियार से मारा गया हो सकता है। गायब नाखून तस्करी माफिया की निशानी हो सकता है, क्योंकि बाघ के अंगों की अंतरराष्ट्रीय काला बाजार में ऊंची कीमत है। बरामद लोहे का हथियारजो भाले जैसा लग रहा है घटना को और रहस्यमय बनाता है। वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. रामेश्वर पटेल ने कहा, ऐसी मौतें प्रायोजित शिकार का संकेत देती हैं। तत्काल डीएनए टेस्ट जरूरी है।
पोस्टमार्टम हुआ
सूचना मिलते ही बलरामपुर और सूरजपुर वन मंडलों के डीएफओ समेत संयुक्त टीम मौके पर पहुंची। बाघ का शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, रिपोर्ट आने पर मौत का सटीक कारण स्पष्ट होगा। पूरे क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। एनजीटी और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को भी सूचित किया गया है।
लगातार हो रही घटना
यह घटना अकेली नहीं हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ में कई बाघ मौतें संदिग्ध रही हैं। वन विभाग के बजट में वृद्धि के बावजूद जमीनी स्तर पर कमी साफ है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय समुदाय को शामिल कर निगरानी मजबूत करनी होगी। यदि दोषी पकड़े नहीं गए, तो यह वन्यजीव संरक्षण के लिए खतरे की घंटी है। फिलहाल जांच जारी है, लेकिन ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि यह मामला कागजों में न दबे।





