खबरी गुल्लक। 14 नवंबर 2024। महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को रातों रात बेघर कर देना उचित नहीं। एक आरोप के आधार पर बुलडोजर की कार्रवाई शक्तियों के पृथक करण के सिद्धांतों का उल्लंघन है। जब प्राधिकारी नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन करने में विफल रहते हैं, और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का पालन किए बगैर काम करते हैं। बुलडोजर द्वारा इमारत को ध्वस्त करने का दृश्य एक अराजक स्थिति की याद दिलाता है, जहां ताकतवर ही जीतेगा। बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री बीआर गवई और श्री केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए फैसले में कवि प्रदीप की पंक्तियों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की यह चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छुटे। न्यायमूर्ति ने संपत्तियों को ढहाने पर पूरे भारत के लिए दिशा निर्देश जारी करते हुए 95 पन्ने का फैसला दिया। फैसले में पीठ ने कहा कि बगैर कारण बताओ नोटिस जारी किए संपत्ति ढहाने की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। नोटिस का जवाब प्रभावितों को नगर निकाय कानून के अनुसार निर्धारित समय में देना होगा, अथवा नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर देना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि सड़क, गली, फुटपाथ, रेल पटरी, नदी, जलाशय जैसे सार्वजनिक स्थल पर अनधिकृत संरचना है उन मामलों में यह आदेश लागू नहीं होंगे जहां न्यायालय ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया हो। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर न्याय की तुलना अराजकता की स्थिति से की।
बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम ब्रेक: न्यायमूर्ति ने कहा - महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को रातों रात बेघर कर देना उचित नहीं.. ऐसी कार्रवाई से अराजक स्थिति! प्रभावितों को कारण बताओ नोटिस जरूरी..
नवंबर 13, 2024
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