एपीके फ़ाइल की लिंक के जरिये साइबर फ़्रॉड
साइबर ठगों द्वारा व्हाट्सएप पर बैंक या आधार अपडेट, निमंत्रण अथवा किसी योजना के नाम पर एपीके फाइल का लिंक भेजा जा रहा हैं, एपीके फ़ाइल कों डाउनलोड करने की लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल फोन हैक हो जाता है, जिससे ठग फोन के कैमरा, माइक्रोफोन, जीपीएस, मैसेज और ओटीपी तक पहुंच जाते हैं। साइबर ठगों द्वारा ऐसे फ़ाइल वाट्सएप पर किसी अज्ञात नंबर अथवा ग्रुप में इन एप को भेजा जा रहा हैं, ठगों द्वारा भेजी गई एपीके फाइल को डाउनलोड करने पर, वे आपके मोबाइल को हैक कर लेते हैं। इससे ठग मोबाइल का पूरा एक्सेस पा जाते हैं और आपकी निजी जानकारियां जैसे बैंक डिटेल्स, ओटीपी आदि निजी जानकारिया आसानी से प्राप्त कर सकते हैं, सबसे पहले ठग एपीके फ़ाइल/लिंक के जरिये आपके व्हाट्सएप को हैक करते हैं। व्हाट्सएप हैक हो जाने पर, आपके द्वारा जुड़े सभी ग्रुप्स में यह फाइल भेजी जाती है, जिससे एक चेन बनती है और ज्यादा से ज्यादा लोगों के फोन को निशाना बनाया जाता है।
न करें डाउनलोड
यदि आपके व्हाट्सएप या किसी अंजान ग्रुप में बैंक या आधार अपडेट के नाम पर कोई एपीके फाइल आती है, तो उसे भूलकर भी डाउनलोड न करें। ऐसा करने पर साइबर ठग आपकी सारी निजी जानकारी चुरा सकते हैं, प्राप्त कर सकते हैं
यह सावधानी रखें
• अपने फ़ोन की ऑटोमैटिक डाउनलोड बंद रखें, अपने फोन में ऑटोमेटिक डाउनलोड का ऑप्शन बंद कर दें।
• अज्ञात लिंक न खोलें: किसी अनजान लिंक को खोलने से बचें।
• टू-स्टेप वेरिफिकेशनः अपने व्हाट्सएप को हमेशा टू- स्टेप वेरिफिकेशन पर रखें।
• साइबर हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करें: यदि गलती से डाउनलोड हो जाए, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।
जाने क्या हैं साइबर ठगी का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट
साइबर ठगों द्वारा डिजिटल माध्यम से किसी व्यक्ति को किसी आपराधिक गतिविधि मे शामिल रहने अथवा पार्सल में गलत सामान होने एवं अन्य भ्रामक जानकारी देकर गिरफ्तार करने का झूठा दावा किया जाता हैं, डिजिटल अरेस्ट की फर्जी घटनाओ के जरिये ठगों का मकसद लोगों के मन में अचानक डर की स्थिति उत्पन्न करना होता है जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति को यह यकीन दिलाया जाता है कि वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल है और आखिरकार पिड़ित से भारी भरकम रकम की मांग कर ली जाती है, साइबर ठगों द्वारा इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ही नियोजित तरीके से अपनाया जाता है, जिससे वारदात होने के बाद पीड़ित व्यक्ति कभी अपराध की रिपोर्ट ना कर सके।
ठग ऐसे देते हैं झांसा
साइबर ठगों द्वारा इस दौरान पिड़ित को वीडियो कॉल या व्हाट्सअप कॉल कर कुछ खास प्रक्रिया से गुजरने के लिए बाध्य किया जाता हैं, साइबर ठग विडिओ कॉल के दौरान आस पास के जगह कों पुलिस स्टेशन या किसी अन्य अन्य एजेंसी के जैसा मिलता जुलता बनाकर लोगो के मन मे डर पैदा किया जाता हैं, घटनाओ की पुष्टि के लिए कई तरह की जानकरियां भी मांगी जाती हैं. ऐसे फर्जी कॉल करने वाले खुद को पुलिस, नॉरकोटिक्स, साइबर सेल, इनकमटैक्स या सीबीआई अधिकारियों की तरह पेश करते हैं. वे बाकायदा किसी ऑफिस से यूनिफॉर्म में कॉल करते हैं, इसके बाद पीड़ित पर अनर्गल आरोप लगा कर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी जाती है और दावा किया जाता है कि पूछताछ होने के दौरान उसे वीडियो कॉल पर ही रहना होगा और वह किसी और से बातचीत नहीं कर सकता है, जब तक कि प्रक्रिया पूर्ण ना हो जाय, इसी दौरान मामले से बचाने के ऐवज मे पिड़ित से बातचीत कर बड़ी रकम की ठगी कर ली जाती हैं।
डिजिटल अरेस्ट जैसी ठगी की से बचने उपाय -
(01) अंजान व्यक्तियों के कॉल ना उठाये, अज्ञात नंबर से आए व्हाट्सअप कॉल अथवा विडिओ कॉल कों स्वीकार ना करें।
(02) किसी भी परिस्थिति मे डरे नही, डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नही होती हैं।
(03) पुलिस या अन्य एजेंसी किसी भी व्यक्ति/आरोपी से व्हाट्सप्प कॉल/विडिओ कॉल के जरिये सम्पर्क कर कार्यवाही नही करती।
(04) ऐसी घटनाओ की सूचना तत्काल अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर देवे।









