अम्बिकापुर।खबरी गुल्लक।। रामनवमी पर्व पर तुलसी साहित्य समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्माशंकर सिंह की अध्यक्षता में केशरवानी भवन में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गीता मर्मज्ञ पं. रामनारायण शर्मा, विशिष्ट अतिथि शायर-ए-शहर यादव विकास, वरिष्ठ व्याख्याता सच्चिदानंद पांडेय और सामाजिक कार्यकर्ता पं. अरविंद मिश्र थेेेेे। संचालन कवि अजय सागर और कवयित्री अर्चना पाठक ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मां वीणावती की पारंपरिक पूजा से हुई। महाकवि तुलसीकृत रामचरितमानस और कविवर एसपी जायसवाल द्वारा रचित सरगुजिहा रामायण का पाठ भी हुआ। गीतकार कृष्णकांत पाठक ने सरस्वती-वंदना की मनोहारी प्रस्तुति दी। ब्रह्माशंकर सिंह ने कहा कि भगवान राम करुणा के परम धाम हैं। वे भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। वे जनमानस में पूर्णतः रचे-बसे हैं। वे धर्म के साक्षात् स्वरूप हैं। माता कैकेयी की आज्ञा मानकर उन्होंने चौदह वर्ष का वनवास व्यतीत किया। परन्तु माता के प्रति कभी कोई दुर्भाव नहीं रखा। उल्टे वनवास से लौटने पर सर्वप्रथम वे माता कैकेयी से मिले और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। कश्मीर के राजा कर्ण सिंह कुश के वंशज माने जाते हैं परन्तु छत्तीसगढ़ प्रांत के हम क्षत्रिय लव के वंशज हैं। हमें राम के चरित्र का अनुगमन करना चाहिए तभी समाज में सर्वत्र सुख, शांति और समृद्धि की स्थापना होगी। पं. रामनारायण शर्मा ने भगवान राम के विराट व्यक्तित्व और कृतित्व का वर्णन करते हुए बताया कि रामनवमी मनाने का उद्देश्य तभी सफल होगा जब हम अपने जीवन में सत्याचरण, धर्माचरण, निष्पक्ष न्याय का आदर, ईमानदारी, परहित चिंतन, परोपकार, सभी से प्रेम का भाव, स्वधर्म पालन, माता-पिता, गुरुजनों की सेवा, ईश्वर द्वारा बनाई सृष्टि का संरक्षण, भूमि, जल, वायु के प्रदूषण को दूर करना, वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा, पशु संरक्षण, आहार-व्यवहार की शुद्धता, अपने समान दूसरों के सुख-दुख को समझना, शिक्षाप्रद उपदेशों का पालन तथा आत्मा-परमात्मा के विचारों को आत्मसात करेंगे। आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर ने कहा कि भगवान राम ने श्राप के कारण पाषाण बनी गौतम-पत्नी अहिल्या के पापों को हर लिया। वे दीनों के बंधु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानवों का समूल नाश करनेवाले, धर्म की संस्थापना और सज्जनों की रक्षा करनेवाले परम कृपालु भगवान हैं। उनका नाम सम्पूर्ण सुख और सौभाग्य की खान है। पं. अरविंद मिश्र ने बताया कि चैत्र शुक्लपक्ष नवमी अर्थात् प्रतिपदा के दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। इसी तिथि में महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था। भगवान राम का भी जन्म हुआ। राम ने आदर्श मानवीय जीवन जी कर दिखाया, परिवार का कुशल प्रबंधन सिखाया। वे एक उत्तम पुत्र, भाई, शिष्य, मित्र, स्वामी आदि थे। लोग विभीषण जयचंद जैसा मानते हैं, जो उचित नहीं है, वे एक सच्चे संत और भगवान राम के अनन्य भक्त थे। भगवान राम राग-द्वेष आदि द्वंद्वों तथा दुखों का नाश करनेवाले और आनंद की वर्षा करनेवाले हैं। पूर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी व वरिष्ठ साहित्यकार एसपी जायसवाल ने प्रभुराम के प्राकट्योत्सव को सम्पर्ण संसार में मनाए जाने की बात कही और विश्वास व्यक्त किया कि रामनवमी का पर्व सबके जीवन में खुशहाली एवं नई ऊर्जा का संचार करेगा। उन्होंने कविता- प्रभु मैं तेरे शरण में आया, तू मुझको स्वीकार करो। डूब रही है नैया मेरी, अब तो बेड़ा पार करो- का सस्वर पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री अर्चना पाठक ने भी राम को एक कुशल राजनीतिक बताया जिन्होंने सुग्रीव और विभीषण से मित्रता की क्योंकि अगर वे साथ नहीं होते तो राम का युद्ध जीतना बहुत मुश्किल था। जिनका नाम लेने से समुद्र सुख जाता है, वही राम केवट से गंगा पार जाने हेतु याचना करते हैं। दुनिया को दिखाने के लिए कि हर कार्य मर्यादा में रहकर करना चाहिए। काव्यगोष्ठी में संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष माधुरी जायसवाल ने अपने काव्य में मां दुर्गा से सुख-समिद्ध का वरदान पाने की बात कही- दुर्गा मां ने पार लगाया। मां के चरणों में सुख-समृद्धि, प्रेम का वरदान पाया। कर लो मां की नवरात्रि में पूजा-अर्चन, शक्ति का उत्सव आया। कवयित्री सीमा तिवारी ने मां अम्बे को जग का खेवनहार बताया- छवि तेरी दिल में बसाई है माता। बताऊं मैं कैसे अनोखा है नाता, सारे जगत् की तू है खेवइया, फिर क्यों भंवर में पड़ी मेरी नइया। कवयित्री अर्चना पाठक ने अपने दोहे में मां को तप वैराग्य की मूल बताया - तप, संयम, वैराग्य ही, ब्रह्मचारिणी मूल। सदाचार बढ़ता रहे, देखो शक्ति त्रिशूल। रूप अलौकिक देखकर, जिह्वा होती मौन। मनहर छवि किसकी दिखी, दिव्य सलोनी कौन। कवयित्री अंजू प्रजापति ने अपनी हैरानी इन शब्दों में व्यक्त की- कलयुग की इस दुनिया में लोगों को जय श्रीराम करते देख मैं हैरान हूं, पूज रहे हैं इन नवदिनों माता के नवरूप और राम-सिया की मूरत को। कवयित्री स्वाति टोप्पो ने हिन्दू नववर्ष को नई आशाओं को जगानेवाला बताया- नववर्ष आया लेकर प्रकाश, हर दिल में जागे नई आस। मर्यादा पुरुषोत्तम का संदेश, सत्य, प्रेम और धर्म विशेष। वरिष्ठ गीतकार देवेन्द्रनाथ दुबे ने भारतभूमि की प्रशंसा करते हुए यहां तक कह दिया कि- यह राम-कृष्ण की जननी है, शंकर की पावन तपोभूमि, है यहां देवता लालायित कहने को अपनी जन्मभूमि। कविवर श्यामबिहारी पांडेय ने अपने काव्य में लुप्त होती गौरैया पक्षी के संबंध में हार्दिक पीड़ा व्यक्त की- दाना चुगकर घर-आंगन को, करती थी गुलज़ार चिरइया। नीड़ बनाना, चीं-चीं करना, भूल गई सब अब गौरैया। कल तक खेला करती थी वो फुदक-फुदक कर साथ हमारे। सूना करके गांव-गली, अब छुपी कहां प्यारी गौरैया! गीतकार कृष्णकांत पाठक ने गीत की प्रस्तुति देते हुए कहा कि- श्री चरणों में दिल को लगाया नहीं तो, बता दे किया तूने क्या उम्र भर। राम-सीता का गर नाम गाया नहीं तो, बता दे किया तूने क्या उम्र भर! संस्था के अध्यक्ष दोहाकार व शायर मुकुंदलाल साहू अपने दोहों में भगवान श्रीराम की सर्वत्र व्याप्ति का उल्लेख किया- सबके मन में राम हैं, रोम-रोम में राम। कण-कण में रमते वही, भज ले उनका नाम। राम मुझे मत छोड़ना, थामे रहना हाथ। सुख-दुख दोनों में सदा, देना मेरा साथ। कवि रामलाल विश्वकर्मा ने कविता- ये हिन्दू-मुसलमान हिकारत वो अदावत, इस भीड़ में शिरकत मुझे करना नहीं आया। हूं दाग़दार उनकी निगाह में, उनकी बताई राह पर चलना नहीं आया- की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरीं। काव्यगोष्ठी में आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर और कवि अजय सागर ने भी अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया। अंत में शायर-ए-शहर यादव विकास की इस प्रेरक ग़ज़ल से कार्यक्रम से यादगार समापन हुआ- दिल ने तुम्हें पसंद किया, क्या ग़लत किया। आंखों में अक़्स बंद किया, क्या ग़लत किया। हर चोट तेरी राह में सहता चला गया, यूं दिल को दर्दमंद किया, क्या ग़लत किया। सुनिए ‘विकास’ आप बड़े वो हैं, जाइए। हमको ही क़लमबंद किया, क्या ग़लत किया! धन्यवाद ज्ञापन कवयित्री माधुरी जायसवाल ने किया। इस अवसर पर लीला यादव, अनिल त्रिपाठी, प्रमोद और केशरवानी वैश्यसभा के उपाध्यक्ष मनीलाल उपस्थित रहे।
सबके मन में राम, रोम-रोम में राम, कण-कण में रमते वही, भज ले उनका नाम - मुकंदलाल साहू ! तुलसी साहित्य समिति की काव्यगोष्ठी
अप्रैल 07, 2025
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अम्बिकापुर।खबरी गुल्लक।। रामनवमी पर्व पर तुलसी साहित्य समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्माशंकर सिंह की अध्यक्षता में केशरवानी भवन में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गीता मर्मज्ञ पं. रामनारायण शर्मा, विशिष्ट अतिथि शायर-ए-शहर यादव विकास, वरिष्ठ व्याख्याता सच्चिदानंद पांडेय और सामाजिक कार्यकर्ता पं. अरविंद मिश्र थेेेेे। संचालन कवि अजय सागर और कवयित्री अर्चना पाठक ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मां वीणावती की पारंपरिक पूजा से हुई। महाकवि तुलसीकृत रामचरितमानस और कविवर एसपी जायसवाल द्वारा रचित सरगुजिहा रामायण का पाठ भी हुआ। गीतकार कृष्णकांत पाठक ने सरस्वती-वंदना की मनोहारी प्रस्तुति दी। ब्रह्माशंकर सिंह ने कहा कि भगवान राम करुणा के परम धाम हैं। वे भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। वे जनमानस में पूर्णतः रचे-बसे हैं। वे धर्म के साक्षात् स्वरूप हैं। माता कैकेयी की आज्ञा मानकर उन्होंने चौदह वर्ष का वनवास व्यतीत किया। परन्तु माता के प्रति कभी कोई दुर्भाव नहीं रखा। उल्टे वनवास से लौटने पर सर्वप्रथम वे माता कैकेयी से मिले और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। कश्मीर के राजा कर्ण सिंह कुश के वंशज माने जाते हैं परन्तु छत्तीसगढ़ प्रांत के हम क्षत्रिय लव के वंशज हैं। हमें राम के चरित्र का अनुगमन करना चाहिए तभी समाज में सर्वत्र सुख, शांति और समृद्धि की स्थापना होगी। पं. रामनारायण शर्मा ने भगवान राम के विराट व्यक्तित्व और कृतित्व का वर्णन करते हुए बताया कि रामनवमी मनाने का उद्देश्य तभी सफल होगा जब हम अपने जीवन में सत्याचरण, धर्माचरण, निष्पक्ष न्याय का आदर, ईमानदारी, परहित चिंतन, परोपकार, सभी से प्रेम का भाव, स्वधर्म पालन, माता-पिता, गुरुजनों की सेवा, ईश्वर द्वारा बनाई सृष्टि का संरक्षण, भूमि, जल, वायु के प्रदूषण को दूर करना, वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा, पशु संरक्षण, आहार-व्यवहार की शुद्धता, अपने समान दूसरों के सुख-दुख को समझना, शिक्षाप्रद उपदेशों का पालन तथा आत्मा-परमात्मा के विचारों को आत्मसात करेंगे। आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर ने कहा कि भगवान राम ने श्राप के कारण पाषाण बनी गौतम-पत्नी अहिल्या के पापों को हर लिया। वे दीनों के बंधु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानवों का समूल नाश करनेवाले, धर्म की संस्थापना और सज्जनों की रक्षा करनेवाले परम कृपालु भगवान हैं। उनका नाम सम्पूर्ण सुख और सौभाग्य की खान है। पं. अरविंद मिश्र ने बताया कि चैत्र शुक्लपक्ष नवमी अर्थात् प्रतिपदा के दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। इसी तिथि में महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था। भगवान राम का भी जन्म हुआ। राम ने आदर्श मानवीय जीवन जी कर दिखाया, परिवार का कुशल प्रबंधन सिखाया। वे एक उत्तम पुत्र, भाई, शिष्य, मित्र, स्वामी आदि थे। लोग विभीषण जयचंद जैसा मानते हैं, जो उचित नहीं है, वे एक सच्चे संत और भगवान राम के अनन्य भक्त थे। भगवान राम राग-द्वेष आदि द्वंद्वों तथा दुखों का नाश करनेवाले और आनंद की वर्षा करनेवाले हैं। पूर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी व वरिष्ठ साहित्यकार एसपी जायसवाल ने प्रभुराम के प्राकट्योत्सव को सम्पर्ण संसार में मनाए जाने की बात कही और विश्वास व्यक्त किया कि रामनवमी का पर्व सबके जीवन में खुशहाली एवं नई ऊर्जा का संचार करेगा। उन्होंने कविता- प्रभु मैं तेरे शरण में आया, तू मुझको स्वीकार करो। डूब रही है नैया मेरी, अब तो बेड़ा पार करो- का सस्वर पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री अर्चना पाठक ने भी राम को एक कुशल राजनीतिक बताया जिन्होंने सुग्रीव और विभीषण से मित्रता की क्योंकि अगर वे साथ नहीं होते तो राम का युद्ध जीतना बहुत मुश्किल था। जिनका नाम लेने से समुद्र सुख जाता है, वही राम केवट से गंगा पार जाने हेतु याचना करते हैं। दुनिया को दिखाने के लिए कि हर कार्य मर्यादा में रहकर करना चाहिए। काव्यगोष्ठी में संस्था की कार्यकारी अध्यक्ष माधुरी जायसवाल ने अपने काव्य में मां दुर्गा से सुख-समिद्ध का वरदान पाने की बात कही- दुर्गा मां ने पार लगाया। मां के चरणों में सुख-समृद्धि, प्रेम का वरदान पाया। कर लो मां की नवरात्रि में पूजा-अर्चन, शक्ति का उत्सव आया। कवयित्री सीमा तिवारी ने मां अम्बे को जग का खेवनहार बताया- छवि तेरी दिल में बसाई है माता। बताऊं मैं कैसे अनोखा है नाता, सारे जगत् की तू है खेवइया, फिर क्यों भंवर में पड़ी मेरी नइया। कवयित्री अर्चना पाठक ने अपने दोहे में मां को तप वैराग्य की मूल बताया - तप, संयम, वैराग्य ही, ब्रह्मचारिणी मूल। सदाचार बढ़ता रहे, देखो शक्ति त्रिशूल। रूप अलौकिक देखकर, जिह्वा होती मौन। मनहर छवि किसकी दिखी, दिव्य सलोनी कौन। कवयित्री अंजू प्रजापति ने अपनी हैरानी इन शब्दों में व्यक्त की- कलयुग की इस दुनिया में लोगों को जय श्रीराम करते देख मैं हैरान हूं, पूज रहे हैं इन नवदिनों माता के नवरूप और राम-सिया की मूरत को। कवयित्री स्वाति टोप्पो ने हिन्दू नववर्ष को नई आशाओं को जगानेवाला बताया- नववर्ष आया लेकर प्रकाश, हर दिल में जागे नई आस। मर्यादा पुरुषोत्तम का संदेश, सत्य, प्रेम और धर्म विशेष। वरिष्ठ गीतकार देवेन्द्रनाथ दुबे ने भारतभूमि की प्रशंसा करते हुए यहां तक कह दिया कि- यह राम-कृष्ण की जननी है, शंकर की पावन तपोभूमि, है यहां देवता लालायित कहने को अपनी जन्मभूमि। कविवर श्यामबिहारी पांडेय ने अपने काव्य में लुप्त होती गौरैया पक्षी के संबंध में हार्दिक पीड़ा व्यक्त की- दाना चुगकर घर-आंगन को, करती थी गुलज़ार चिरइया। नीड़ बनाना, चीं-चीं करना, भूल गई सब अब गौरैया। कल तक खेला करती थी वो फुदक-फुदक कर साथ हमारे। सूना करके गांव-गली, अब छुपी कहां प्यारी गौरैया! गीतकार कृष्णकांत पाठक ने गीत की प्रस्तुति देते हुए कहा कि- श्री चरणों में दिल को लगाया नहीं तो, बता दे किया तूने क्या उम्र भर। राम-सीता का गर नाम गाया नहीं तो, बता दे किया तूने क्या उम्र भर! संस्था के अध्यक्ष दोहाकार व शायर मुकुंदलाल साहू अपने दोहों में भगवान श्रीराम की सर्वत्र व्याप्ति का उल्लेख किया- सबके मन में राम हैं, रोम-रोम में राम। कण-कण में रमते वही, भज ले उनका नाम। राम मुझे मत छोड़ना, थामे रहना हाथ। सुख-दुख दोनों में सदा, देना मेरा साथ। कवि रामलाल विश्वकर्मा ने कविता- ये हिन्दू-मुसलमान हिकारत वो अदावत, इस भीड़ में शिरकत मुझे करना नहीं आया। हूं दाग़दार उनकी निगाह में, उनकी बताई राह पर चलना नहीं आया- की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरीं। काव्यगोष्ठी में आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर और कवि अजय सागर ने भी अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया। अंत में शायर-ए-शहर यादव विकास की इस प्रेरक ग़ज़ल से कार्यक्रम से यादगार समापन हुआ- दिल ने तुम्हें पसंद किया, क्या ग़लत किया। आंखों में अक़्स बंद किया, क्या ग़लत किया। हर चोट तेरी राह में सहता चला गया, यूं दिल को दर्दमंद किया, क्या ग़लत किया। सुनिए ‘विकास’ आप बड़े वो हैं, जाइए। हमको ही क़लमबंद किया, क्या ग़लत किया! धन्यवाद ज्ञापन कवयित्री माधुरी जायसवाल ने किया। इस अवसर पर लीला यादव, अनिल त्रिपाठी, प्रमोद और केशरवानी वैश्यसभा के उपाध्यक्ष मनीलाल उपस्थित रहे।
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