इस आदेश के अनुसार, जहां बच्चों की संख्या कम है या एक ही परिसर में एक से अधिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं, वहां शालाओं का एकीकरण किया जाएगा। साथ ही जिन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से अधिक है, उन्हें जरूरत वाले विद्यालयों में पुनः पदस्थ किया जाएगा।
शहरी क्षेत्रों में 30 से कम और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम दर्ज संख्या वाली शालाओं को पास के विद्यालयों में मिलाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ होगी। यह निर्णय जिलों की विकासखंड स्तरीय एवं जिला स्तरीय समितियों की अनुशंसा पर आधारित होगा। अंतिम आदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया जाएगा।
शिक्षकों की पुनः पदस्थापना काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से की जाएगी। एक ही विषय के शिक्षकों में कनिष्ठ को अतिशेष माना जाएगा। विशेष ध्यान यह रखा जाएगा कि ई संवर्ग और टी संवर्ग के शिक्षक केवल अपने संवर्ग की शालाओं में ही पदस्थ रहेंगे।
स्कूल भवनों के उपयोग, विद्यार्थियों के अभिलेख, और विद्यालय की ऐतिहासिक पहचान को सुरक्षित रखते हुए समायोजन किया जाएगा। राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षक उपलब्धता में संतुलन और प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में यह अहम भूमिका माना जा रहा है। शासन ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और जनहितकारी बनाने के लिए समितियों का गठन भी किया है, जिनमें राजस्व, पंचायत, शिक्षा, और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
इस बैठक में जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार अग्रवाल, एसडीएम फागेश सिन्हा, नीरज कौशिक, जे आर सतरंज, जिला शिक्षा अधिकारी ए.के. सिन्हा, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास अतुल परिहार, बाल विकास परियोजना अधिकारी, बीईओ, बीआरसी उपस्थित रहे।





