बलरामपुर कलेक्ट्रेट में शिक्षकों ने ताली बजा किसके लिए लगाए हाय.. हाय के नारे, जाने युक्तियुक्त करण के बीच क्यों मचा है बवाल, किसी का कचोट रहा दिल .. तो कोई उठा रहा सवाल..

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बलरामपुर कलेक्ट्रेट में शिक्षकों ने ताली बजा किसके लिए लगाए हाय.. हाय के नारे, जाने युक्तियुक्त करण के बीच क्यों मचा है बवाल, किसी का कचोट रहा दिल .. तो कोई उठा रहा सवाल..

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बलरामपुर।। खबरी गुल्लक।। 

युक्तियुक्त करण सूची में विसंगति और मनमानी का आरोप लगाते हुए शिक्षकों,व्याख्याताओं ने बलरामपुर कलेक्ट्रेट के सामने जमकर नारे बाजी की। असंतुष्ट शिक्षकों ने ताली बजाते हुए बीईओ हाय हाय के नारे लगाये और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि बलरामपुर - रामानुजगंज जिला में युक्तियुक्तकरण  नियमों की धज्जियाँ उड़ाने का काम सभी  छः विकास खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा किया गया हैं । प्रत्येक विकास खंड में बहुत ऐसे  विद्यालय हैं जो जिसकी दर्ज संख्या अधिक हैं । नियमानुसार उन विद्यालयों में रिक्त पद दिखाना अनिवार्य था। एकल शिक्षकीय विद्यालय केवडाशीला , पहाड़टोला,भौरमाल, दुभानपारा ,हरिहरपुर, कटहरपारा ,गोविंदपुर, ढुढरुपारा .बथानड़ाड़ अन्य विद्यालय हैं। अधिक दर्ज संख्या वाले विद्यालयों में प्राथमिक शाला हरिहरपुर, पस्ता , चिलमा, सारंगपुर आदि अन्य प्राथमिक शाला में दर्ज संख्या अधिक है ।

इस प्रकार लगभग 100  रिक्त पदों की सूची में शामिल  नहीं किया गया हैं । शासनादेश के नियमानुसार रिक्त पद और अतिशेष शिक्षकों का चयन त्रुटि रहित सूची  बनाने का दायित्व विकास खंड अधिकारी की  हैं । इस विषय में जब शिक्षकों ने विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर बात की तो उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला। उनका कहना है कि कम दर्ज और मर्ज़ किए गए शालाओं का नाम रिक्त पद की सूची में नहीं दर्शाया गया हैं। सहायक शिक्षक, समग्र शिक्षक फेडरेशन के जिला प्रवक्ता  प्रभाकर मुखर्जी  का कहना हैं कि मर्ज किए गए शालाओं की सूची आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया हैं । दावा  आपत्ति पेश करने का समय नहीं दिया गया है । ऐसे बहुत सारे  एकल शिक्षकीय शाला हैं , जिसकी दर्ज संख्या 40  से ज़्यादा है । ऐसे स्कूलों का नाम रिक्त  पद  की सूची से ग़ायब हैं , वहीं 25 से कम दर्ज संख्या वाले विद्यालयों में रिक्त पद दिखा कर काउंसिल कर पदस्थापना  कर दी गई हैं । प्राथमिक शाला बीचपारा  की दर्ज संख्या 38 हैं। 3 शिक्षक पदस्थ होने के बावजूद किसी को अतिशेष नहीं किया गया हैं। इस संबंध में बलरामपुर डीईओ से संपर्क नहीं हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। 

 

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