छग के शिमला में गजराजों ने डाला डेरा.. रात में थर्रा रहे ग्रामीण, जागकर कट रही रात...हो रहा सबेरा ।। खबरी गुल्लक।।

छग के शिमला में गजराजों ने डाला डेरा.. रात में थर्रा रहे ग्रामीण, जागकर कट रही रात...हो रहा सबेरा ।। खबरी गुल्लक।।

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 अंबिकापुर/ मैनपाट।। खबरी गुल्लक।। 4 जून 2025।।। 

छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर मैनपाट की आबोहवा गजराजों को रास आ रही है। पहाड़ के ऊपर बसे इस इलाके पिछले कई वर्षों से जंगली हाथियों की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं वन विभाग का मैदानी अमला भी वषों से हाथियों की निगरानी और ग्रामीणों को समझाइश का अभ्यस्त हो चुका है। वर्तमान समय में मैनपाट क्षेत्र में 11 से 14 जंगली हाथी विचरण करते हुए फसलों को निवाला बना तबाह कर रहा है वहीं दहशतज़दा ग्रामीण जागकर रात गुजार रहे हैं और सबेरा हो रहा है। खबरी गुल्लक के मैनपाट संवाददाता महेश यादव ने आज जंगली हाथियों की तस्वीर के लिए जोखिम उठाया और शानदार तस्वीर कैमरे में कैद किया। महेश यादव ने बताया कि आज बुधवार को जंगली हाथियों का यह दल मैनपाट के टाईगर पाइंट में आ गया।  जिससे टाइगर प्वाइंट से लगे रिहायशी इलाके में लोगों में हड़कंप मचा रहा। 

वनोपज संग्रहण भी प्रभावित 

खबरी गुल्लक के मैनपाट संवाददाता महेश यादव ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की। उन्होंने बताया कि मैनपाट के ग्राम कंडराजा, बरिमा,  आमापानी, बावपहाड़ सहित रायगढ़ सरहद से लगे इलाकों में हाथी आए दिन उत्पात मचा रहे हैं। जंगली हाथियों के विचरण के चलते ग्रामीण वनोपज का संग्रहण भी नहीं कर पा रहे हैं जिससे उनकी आजीविका भी प्रभावित हो रही है। रायगढ़ के सरहदी क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण भी प्रभावित हुआ था । बारिश के पूर्व वनवासी सुखी जलाऊ लकड़ी का भी प्रबंध करते हैं मगर हाथियों के कारण वनवासी जलाऊ लकड़ी का भी प्रबंध नहीं कर पाए।

वन भूमि पट्टा से सिमट रहे जंगल

सरगुजा के जागरूक लोगों का कहना है कि वन भूमि पट्टा की चाह में जंगल में अतिक्रमण का खेल चल रहा है। जमीनी स्तर में बैगर पड़ताल वन भूमि पट्टा बांटे जाने से जंगल सिमट रहे हैं। पेड़ो की अंधा धुन कटाई चल रही है। नागरिकों का कहना है कि जंगल के संरक्षण और संवर्धन का यही समय है। यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो जंगल मैदान में तब्दील हो जाएंगे। जानवरों का प्राकृतिक रहवास उजड़ने से जानवरों का बस्तियों में प्रवेश की घटनाएं बढ़ रही हैं। जंगल के विनाश का न सिर्फ पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है बल्कि जानवरों के अस्तित्व पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। नागरिकों का कहना है कि वन भूमि पट्टा में अब रोक लगनी चाहिए। जितने भी पट्टा बने हैं एक बार उनकी भी जांच की जानी चाहिए।  


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