कांकेर के आठ गांवों में पादरियों के प्रवेश पर रोक के होर्डिंग्स को हटाने की याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज, अदालत ने कहा - जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए ऐसे होर्डिंग्स असंवैधानिक नहीं हैं..

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कांकेर के आठ गांवों में पादरियों के प्रवेश पर रोक के होर्डिंग्स को हटाने की याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज, अदालत ने कहा - जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए ऐसे होर्डिंग्स असंवैधानिक नहीं हैं..

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बिलासपुर।। खबरी गुल्लक।। 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले के आठ गांवों में लगे ऐसे होर्डिंग्स को हटाने की याचिका के मामले में फैसला सुनाया है जिनमें पादरियों के आने पर रोक लगाने की बात लिखी गई थी। अदालत ने कहा है कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए ऐसे होर्डिंग्स असंवैधानिक नहीं हैं। अपने फैसले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभू दत्ता गुरु की बेंच ने कहा, ऐसा लगता है कि ये होर्डिंग्स आदिवासी समुदाय के हितों और स्थानीय संस्कृति की विरासत की रक्षा के लिए सावधानी के तौर पर लगाए गए हैं।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले के आठ गांवों में लगे ऐसे होर्डिंग्स को हटाने की याचिका खारिज कर दी है, जिनमें पादरियों और धर्म बदलकर ईसाई बने लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने की बात लिखी गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जबरन या धोखे से धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए ऐसे होर्डिंग्स को असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता। 

 अदालत का यह है निर्णय

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने 28 अक्टूबर 2025 को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि ये होर्डिंग्स ग्राम सभाओं द्वारा जनजातीय समुदाय के हितों और उनकी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए एहतियाती कदम के तौर पर लगाए गए हैं। अदालत ने यह भी जोड़ा कि यदि ये होर्डिंग्स संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर हैं, तो इन्हें अवैध नहीं कहा जा सकता। 

 पक्षकारों की यह है दलीलें

 याचिकाकर्ता दिग्बल टांडी ने तर्क दिया कि इन होर्डिंग्स से ईसाई समुदाय और उनके धार्मिक नेताओं को अलग-थलग किया जा रहा है, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और आवाजाही के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(डी)) का उल्लंघन हो रहा है।

राज्य सरकार ने कहा कि पंचायती राज (पेशा अधिनियम, 1996) का नियम ग्राम सभाओं को स्थानीय संस्कृति और सामाजिक रीति-रिवाजों की रक्षा के अधिकार देता है। सरकार ने दलील दी कि इन होर्डिंग्स के जरिए बाहरी पादरियों को उसी स्थिति में रोका गया है, जब वे अवैध या जबरन धर्मांतरण कराने आते हैं। 

 कानूनी और संवैधानिक दृष्टि

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि प्रलोभन, लालच या धोखे से जबरन धर्मांतरण करना गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे होर्डिंग्स केवल चेतावनी, सावधानी स्वरूप हैं और यदि इनमें कोई अवैधानिकता हो तो इसके लिए पहले ग्राम सभा या अन्य वैधानिक मंच पर शिकायत करनी चाहिए थी, न कि सीधे हाईकोर्ट की शरण लेनी थी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को वैकल्पिक कानूनी उपचारों का पहले इस्तेमाल करने की सलाह दी।


 



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