बलरामपुर। खबरी गुल्लक।।
राज्योत्सव के तैयारियों के बीच बलरामपुर जिले में एक शिक्षक के साथ हुई सायबर ठगी ने पूरे शिक्षा विभाग में सनसनी मचा दी है। खुद को साइबर पुलिस बताने वाले गिरोह ने बलरामपुर के एक शिक्षक को अश्लील वीडियो देखने का झांसा देकर गिरफ्तारी का भय दिखाया और उनसे पचास हजार रुपए ऐंठ लिए। जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूल के शिक्षक अशोक तिवारी (नाम परिवर्तित) राज्योत्सव की ड्यूटी पर थे, तभी उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने कहा, हम रायपुर साइबर पुलिस से बोल रहे हैं, आपके ऊपर मामला दर्ज है। हमारी टीम आपके घर पर है, दो मिनट में न पहुंचे तो आपकी पत्नी गिरफ्तार कर ली जाएगी। यह सुनते ही शिक्षक के होश उड़ गए। भयभीत शिक्षक ने ठगों से बात जारी रखी और खुद को बचाने के प्रयास में उनके झांसे में आ गए। ठगों ने सुलह के नाम पर एक लाख रुपये की मांग की, और लंबी बातचीत के बाद शिक्षक ने पचास हजार रुपये फोन पे से भेज दिए। बाद में जब उन्होंने पत्नी को फोन कर पूछा तो मालूम चला कि उनके घर पर कोई नहीं आया था। यह सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। तब जाकर समझ आया कि वे सायबर अपराधियों के शिकार हो चुके हैं। घटना की शिकायत थाने में की गई है, पुलिस जांच में जुटी है।
बलरामपुर जिले में यह पहला मामला नहीं है। बीते कुछ महीनों में कई सरकारी कर्मचारी और शिक्षक इस तरह की ठगी का शिकार हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि अश्लील वीडियो देखने की बात कह गिरफ्तारी का भय दिखा बलरामपुर जिले के 5 दर्जन से अधिक शिक्षकों, प्रधानपाठकों और व्याख्याताओं ने 30 से 35 लाख रुपए की ठगी हो चुकी है।
प्राथमिक शिक्षिका ममता सिंह को एक ईमेल मिला जिसमें दावा किया गया था कि उनका वीडियो इंटरनेट पर अपलोड है और उसे हटाने के लिए 25 हजार रुपये देने होंगे। उन्होंने डर के मारे तुरंत पैसे भेज दिए। वहीं विज्ञान शिक्षक रामेश्वर यादव के बैंक खाते से 87 हजार रुपये उड़ गए, जब उन्होंने खुद को बैंक मैनेजर बताने वाले व्यक्ति को ओटीपी शेयर कर दिया। कंप्यूटर शिक्षिका सावित्री देवी को ‘डिजिटल सर्वे’ के नाम पर भेजा गया लिंक क्लिक करने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। सायबर विशेषज्ञों का कहना है कि ठग अब पुराने अपराधियों से कहीं ज्यादा चतुर और तकनीकी रूप से सक्षम हैं। वे खुद को अधिकारी या पुलिस बताकर पीड़ित के मन में डर बैठाते हैं और तुरंत पैसे वसूल लेते हैं। डर का यह माहौल व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता को खत्म कर देता है। यही कारण है कि पढ़े-लिखे लोग भी उनके झांसे में आ जाते हैं। ठगों की भाषा और शैली इतनी वास्तविक होती है कि किसी को शक नहीं होता। नोट - समाचार में लिखे गए नाम काल्पनिक हैं।
फौरन 1930 नम्बर करें डायल
प्रशासन ने शिक्षकों से कहा गया है कि किसी भी अशुभ या संदिग्ध कॉल, ईमेल या लिंक पर तुरंत पुलिस या साइबर सेल को सूचना दें। साइबर सेल के अधिकारियों ने हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया है, जिस पर फौरन कॉल कर ठगों के खाते फ्रीज कराए जा सकते हैं।
सतर्क रहना जरूरी
यह घटना सिर्फ एक ठगी नहीं, बल्कि डिजिटल युग का चेतावनी संदेश है। ठगी का रूप आधुनिक हो चुका है, पर इसका आधार अब भी वही है डर और विश्वास का शोषण। नागरिकों के लिए सबसे जरूरी है कि वे तकनीकी सतर्कता और आत्मविश्वास दोनों बनाए रखें। बलरामपुर का यह मामला बताता है कि सायबर अपराधी सिर्फ इंटरनेट पर नहीं, हमारी मानसिकता पर भी हमला करते हैं। जरूरत है डिजिटल जागरूकता की, ताकि हर नागरिक अपने फोन और खाते के साथ उतना ही सतर्क रहे जितना अपने घर की चाबी के साथ।






