नई दिल्ली।। खबरी गुल्लक 12 दिसंबर 2025।।
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी निभाते हुए मृत डॉक्टरों के परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 50 लाख रुपये के बीमा मुआवजे के हकदार होंगे। इस फैसले से महामारी निजी कोविड योद्धाओं को भी मान्यता मिली है। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 9 मार्च 2021 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें निजी डॉक्टरों को इस बीमा कवरेज से बाहर ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महामारी के दौरान शासन ने औपचारिक रूप से सभी डॉक्टरों सरकारी हो या निजी की सेवाएं मांगी थीं। यह तथ्य महामारी कानूनों, महाराष्ट्र कोविड-19 रोकथाम नियमावली, 31 मार्च 2020 को नवी मुंबई नगर निगम के आदेश, पीएमजीकेवाय पैकेज और संबंधित दिशानिर्देशों से स्पष्ट है।
अदालत ने जोर दिया कि कोविड काल में सभी प्रावधानों का मकसद डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाओं में कोई कमी न आने देना था। सरकार ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि राष्ट्र उनके साथ खड़ा है। पीएमजीकेवाय इसी उद्देश्य से लाई गई थी, ताकि कोविड योद्धाओं के परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें। हालांकि, कोर्ट ने साफ लिखा कि हर बीमा दावा कानून, साक्ष्यों और तथ्यों पर आधारित होगा। दावा करने वाले को साबित करना होगा कि मृतक डॉक्टर कोविड से जुड़ी ड्यूटी पर थे और उसी कारण उनकी मृत्यु हुई।
यह फैसला प्रदीप अरोड़ा और अन्य याचिकाकर्ताओं की अपील पर आया, जो बॉम्बे हाईकोर्ट के विरोधी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस निर्णय से देशभर के हजारों निजी डॉक्टरों के परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो महामारी में अग्रिम मोर्चे पर लड़ते हुए शहीद हुए। ज्ञात हो कि पीएमजीकेवाय के तहत कोविड ड्यूटी पर मृत्यु पर 50 लाख रुपये तक का बीमा। जिसमें लाभार्थी के दायरे में स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, एंबुलेंस ड्राइवर आदि कोविड योद्धा के रूप में रखे हुए। इस योजना की शुरुआत 14 अप्रैल 2020 को हुई थी। इस योजना के तहत अब तक लाखों दावों का निपटारा किया गया मगर निजी डॉक्टरों को लेकर विवाद बनी हुई थी।





