रायपुर।। खबरी गुल्लक।।
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित जिला खनिज न्यास फंड (डीएमएफ) घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। बुधवार सुबह आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने एक साथ चार जिलों—रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव और धमतरी—में ताबड़तोड़ छापेमारी की। कुल 14 स्थानों पर हुई इस कार्रवाई में अधिकारियों ने कई दस्तावेज, बिलिंग रिकॉर्ड और वाउचर जब्त किए हैं।सूत्रों के अनुसार, डीएमएफ के फंड से जुड़ी फर्जी बिलिंग, वाउचर्स और जीएसटी रिटर्न्स में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। ईओडब्ल्यू ने संदेह जताया है कि यह पूरी गड़बड़ी अधिकारियों की मिलीभगत और भारी कमीशनखोरी का नतीजा है।सुबह छह बजे शुरू हुई एकसाथ ताबड़तोड़ कार्रवाईईओडब्ल्यू की टीम करीब एक सप्ताह से इस ऑपरेशन की तैयारी कर रही थी। बुधवार सुबह छह बजे एक साथ सभी 14 स्थानों पर दबिश दी गई। अचानक हुई इस कार्रवाई से व्यापारिक जगत और ठेकेदारों के बीच हड़कंप मच गया। शुरुआती घंटों में कई फर्म संचालक और परिवारजन घरों में मौजूद थे, जिन्हें टीम ने मौके पर ही पूछताछ के लिए रोक लिया।किन-किन ठिकानों पर पड़ी रेडदुर्ग: मेघ गंगा ग्रुप के संचालक मनीष पारख के खंडेलवाल कॉलोनी स्थित आवास पर छापा पड़ा। यहां उनके भाई निलेश पारख से भी पूछताछ की गई। यह ग्रुप लाइफ केयर, एविश एडुकाम, इमेजेस लैब, महावीर ज्वेलर्स, जयदीप गैस एजेंसी और महावीर स्कूल जैसी करीब 10 फर्में संचालित करता है।रायपुर: पचपेड़ी नाका स्थित वॉलफोर्ट इन्क्लेव में रहने वाले कारोबारी अमित कोठारी और अशोक कोठारी के घरों में कार्रवाई हुई। कोठारी परिवार कृषि और खाद्य उत्पाद के व्यापार से जुड़ा है।राजनांदगांव: भारत माता चौक स्थित कारोबारी राधाकृष्ण अग्रवाल, जिनका कोल माइंस से जुड़ा कारोबार है, के यहां छापा पड़ा। वहीं सत्यम विहार स्थित सरकारी स्कूलों को सप्लाई करने वाले कारोबारी यश नहाटा और रोमिल नहाटा के घर भी ईओडब्ल्यू की टीम पहुंची।
इसी जिले के कामठी लाइन क्षेत्र में माइंस कारोबारी और टेंट हाउस संचालक ललित भंसाली के घर भी तलाशी ली गई।धमतरी: ठेकेदार अभिषेक त्रिपाठी के निवास पर छापेमारी की गई। टीम ने यहां भी दस्तावेजों की जांच कर बरामदगी की है।क्या है डीएमएफ घोटाला जिला खनिज न्यास फंड (DMF) का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास और स्थानीय जनता के कल्याण पर खर्च करना है। लेकिन जांच में सामने आया कि इस फंड से जारी टेंडरों में मनमानी कर निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। कई मामलों में फर्जी कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया तथा फंड के नियमों को बदलकर मनचाही फर्मों को भुगतान किया गया।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) की धारा 7 और 12 के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120बी, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज किया है। जांच फिलहाल जारी है और आने वाले दिनों में कई और नाम सामने आने की संभावना जताई जा रही है।






