बस्तर में उम्मीद की किरण: 51 माओवादियों ने विकास की धारा में लौटने का संकल्प ले किया आत्मसमर्पण

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बस्तर में उम्मीद की किरण: 51 माओवादियों ने विकास की धारा में लौटने का संकल्प ले किया आत्मसमर्पण

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बीजापुर।। खबरी गुल्लक।।

छत्तीसगढ़ के बस्तर में हिंसा के अंधकार से बाहर निकलने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। बुधवार को बीजापुर जिले में 51 माओवादियों ने पुलिस अधीक्षक जितेंद्र यादव के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में नौ महिलाएं और 42 पुरुष शामिल हैं, जिन पर कुल 66 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ये सभी माओवादी ‘पूना मारगेम  पुनर्वास से पुनर्जीवन योजना के अंतर्गत मुख्य धारा में लौटे हैं। राज्य शासन ने इन तमाम आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास प्रोत्साहन स्वरूप 50 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की है।  

नक्सली हथियार छोड़ विकास की राह पर लौटे - अमित शाह 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटनाक्रम पर कहा कि केंद्र सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सल समस्या समाप्त करने का लक्ष्य तय किया है। हाल ही में बस्तर प्रवास के दौरान उन्होंने नक्सलियों से हथियार छोड़कर विकास की राह अपनाने की अपील भी की थी।

सार्थक नीति से भय और आतंक से बाहर निकल रहा बस्तर - सीएम विष्णुदेव साय 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राज्य सरकार की ‘आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार योजना’ ने बस्तर में नई क्रांति की शुरुआत की है। उनके अनुसार, “यह आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि बस्तर भय और हिंसा के अंधकार से बाहर निकल रहा है और शांति, विश्वास तथा प्रगति के युग में प्रवेश कर रहा है।”

  शांति की ओर बढ़ता बस्तर

बीजापुर के तोयामाड़ गांव के किसान रामू कश्यप का कहना है, अब हमारे गांव में पहले जैसी दहशत नहीं रही। बच्चे स्कूल जा रहे हैं, खेती में पुलिस की मदद भी मिल रही है।  जंगल में बसने वाली सुनीता हिड़ामी, जो पहले नक्सल गतिविधियों के डर से अपना घर छोड़ चुकी थीं, अब लौट आई हैं। उनका कहना है, सरकार ने सही रास्ता दिखाया है। अब हमें रोजगार और सुरक्षा दोनों मिल रहे हैं। एक अन्य ग्रामीण नेता सोमरू हेमला ने बताया कि अब ग्राम सभा में विकास योजनाओं पर चर्चा हो रही है। पहले जो असंभव लगता था, अब वही हकीकत बन रहा है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

 पुलिस- प्रशासन की रणनीति रंग ला रही है

एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि शांतिपूर्ण संवाद, विकास योजनाएं और पुनर्वास नीति के संयुक्त प्रयासों से नक्सल प्रभावित इलाकों में भरोसा लौट रहा है। “हमारा लक्ष्य केवल नक्सलियों के आत्मसमर्पण तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें और उनके परिवारों को नई जिंदगी देना है,” उन्होंने कहा। बस्तर का यह परिदृश्य बताता है कि जब शासन का हाथ संवाद और सहयोग के रूप में आगे बढ़ता है, तो हिंसा का इतिहास भी बदल सकता है। आत्मसमर्पण की यह लहर एक ऐसे बस्तर की ओर संकेत कर रही है जो डर से नहीं, बल्कि विकास और विश्वास से परिभाषित होगा।



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